दयालबाग निवासी डॉ. अजीत कुमार सिंह एक साथ चार कॉलेजों में कार्यरत हैं। यह डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के दस्तावेजों में दर्ज है।(Unknown person running jobs at four colleges) उन्होंने राज्यपाल से चार कॉलेजों में अपने फॉर्म का उपयोग करने के बारे में विश्वविद्यालय के बारे में शिकायत की। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय से मांगी जानकारी कार्रवाई के निर्देश दिए गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसके बाद डॉ कुमार ने हरिपर्वत थाने में अर्जी दी।
यहां भी संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को आवेदन दिया, जिस पर न्यायालय ने सीओ स्तर के अधिकारी को पूर्व कुलपति व कुलसचिव समेत अन्य कर्मचारियों के खिलाफ जांच करने का निर्देश दिया है.
2003 से 2016 तक चार कॉलेजों में दिया इंटरव्यू
डॉ कुमार वर्तमान में सिविल कोर्ट में एडवोकेट हैं। इससे पहले वे 2004 से 2012 तक विश्वविद्यालय के विधि विभाग में संविदा प्रवक्ता के रूप में कार्यरत थे। इसके बाद भोपाल के एमपी भोज मुक्त विश्वविद्यालय में सहायक निदेशक के रूप में भी कार्य किया। 2003 में उन्होंने श्री गिरिराज महाराज कॉलेज, मथुरा में लॉ लेक्चरर के पद के लिए 2013 में श्रीजी बाबा कॉलेज ऑफ लॉ, मथुरा में लेक्चरर के पद के लिए, 2016 में रामशंकर सारस्वत कॉलेज ऑफ लॉ, हाथरस में लेक्चरर के पद पर जीत हासिल की। आरजे लॉ कॉलेज, अलीगढ़ और मथुरा। श्री बाबूलाल लॉ कॉलेज में प्राचार्य पद के लिए साक्षात्कार
खंडारी परिसर में आयोजित सभी साक्षात्कार
ये सभी इंटरव्यू खंडारी कॉम्प्लेक्स स्थित गेस्ट हाउस में हुए| इन सभी साक्षात्कारों में उनका चयन हो गया, लेकिन नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया। कॉलेजों में योगदान की रिपोर्ट भी नहीं दी गई है।
इसके अलावा उनके द्वारा जमा कराए गए फॉर्म की फोटोकॉपी भी वापस नहीं की गई। वर्ष 021 में दूसरे कॉलेज में प्राचार्य पद के लिए आवेदन करने पर खबर आई कि उनकी नियुक्ति चार कॉलेजों में हुई है। इस बारे में जब उन्होंने संबद्धता विभाग से जानकारी मांगी तो उन्हें जानकारी नहीं दी गई|
शुरू हुआ आवेदनों का दौर
डॉ. अजीत कुमार ने 2021 में ही राज्यपाल से शिकायत की और सारी जानकारी दी। राजभवन ने विवि से रिपोर्ट मांगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। राजभवन से भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
चारों कॉलेजों के सचिव और अध्यक्ष को नोटिस भेजने को कहा गया है| वेतन दिया जा रहा है या नहीं, इसकी भी जानकारी मांगी गई। विवि ने जवाब नहीं दिया तो इसी साल जनवरी में हरिपर्वत थाने में आवेदन दिया गया था. उसके बाद भी कार्रवाई नहीं हुई तो फरवरी में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को आवेदन दिया गया।
जांच का आदेश
कोर्ट ने सीओ हरिपर्वत को थाना हरिपर्वत के स्तर के अधिकारी से तत्कालीन कुलपति डॉ अरविंद दीक्षित, तत्कालीन रजिस्ट्रार केएन सिंह के अलावा संबद्ध विभागों के अधीक्षक और कॉलेजों के प्राचार्यों के खिलाफ जांच करने का आदेश दिया है|
तारीख 18 अप्रैल थी, लेकिन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने एसएसपी को रिपोर्ट नहीं देने पर रिमाइंडर दिया है| 5 मई तक रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।

थाने से कई रिमाइंडर भेजे जा चुके हैं
शिकायतकर्ता डॉ. अजीत कुमार सिंह का कहना है कि विश्वविद्यालय की ओर से जवाब नहीं दिया जा रहा है| थाने से कई बार रिमाइंडर भेजा जा चुका है।
ऐसा विश्वविद्यालय का कहना है
डॉ. अजीत कुमार की शिकायत की जांच के बाद चार कॉलेजों में विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में उनकी स्वीकृति मिली, जिसे रद्द कर दिया गया. थाना स्तर पर भी सूचना भेजी जा रही है।
– संजीव सिंह, रजिस्ट्रार, डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय
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