प्रदूषण लोगों की जान ले रहा है। जरूरत इस बात की है कि लोग आगे आएं और हर स्तर पर प्रयास करें, खासकर पीने के पानी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए। (Control of pollution and clean water )
यानी अगर सभी को शुद्ध पेयजल मिले तो कई बीमारियां लोगों से दूर रहेंगी। स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने में स्वैच्छिक स्वैच्छिक संगठन (एनजीओ) बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। डॉ मार्टिन लूथर विश्वविद्यालय, हाले विटेनबर्ग (जर्मनी) के विगैंड कोरबर। मिस्टर कोरबर जर्मनी से भारत आए हैं।
विधि संकाय, आगरा कॉलेज द्वारा आयोजित ‘घरेलू राजनीति और कानून में जल संबंधित संकेतक’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री कोरबर ने कहा कि जल संबंधी संकेतकों में घरेलू राजनीति और कानून का प्रभाव सतत विकास के लक्ष्य के तहत एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। . और वह शुद्ध पेयजल और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर
प्रभाव का अध्ययन।
वह यहां सीवर की समस्या को लेकर शोध भी कर रहे हैं। दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण विकास संस्थान (डॉ. बी.आर.ए. विश्वविद्यालय, आगरा) के प्रभारी निदेशक डॉ. मनोज सिंह राठौर की अध्यक्षता में आयोजित इस संगोष्ठी में बोलते हुए उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि लोग आगे आएं और खासकर शराब बनाने के लिए |
जल प्रदूषण मुक्त। हर स्तर के लिए प्रयास करें। उन्होंने कहा कि अगर सभी को शुद्ध पेयजल मिल जाए तो लोगों से कई बीमारियां दूर हो जाएंगी। शुद्ध पेयजल प्राप्त करने में स्वैच्छिक स्वैच्छिक संगठन (एनजीओ) बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
सतत विकास के लक्ष्य की व्याख्या करते हुए श्री कोरबर ने कहा कि न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में प्रदूषित जल आम जनता के स्वस्थ जीवन के लिए खतरा है, जिसके कारण विभिन्न रोग स्वास्थ्य और मानव जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी लोगों के लिए शुद्ध पेयजल का लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित किया गया है। इसी क्रम में भारत सरकार ग्रामीण पेयजल योजना, नमामि गंगे योजना और यमुना शोधन योजना के अलावा अन्य जल स्रोतों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य कर रही है|
शुरुआत में जर्मनी के अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया. श्रीमती डॉ. मनोज सिंह राठौर और संगोष्ठी के आयोजन सचिव और विधि संकाय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिति कांत दुबे। आयोजन समिति के सचिव और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिति कांत दुबे ने कहा कि यह विश्व समुदाय के लिए बड़े संतोष की बात है कि संयुक्त राष्ट्र ने सतत विकास का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें मानव के स्वस्थ जीवन के लिए जल सूचकांकों का सर्वोत्तम प्रबंधन शामिल है, हो गया है। इस कार्य योजना से पेयजल की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होने की उम्मीद है।

वक्ताओं ने कहा कि भारत की न्यायपालिका ने भी समय-समय पर प्रदूषण मुक्त पृष्ठों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। खास बात यह है कि भारत सरकार भी इस दिशा में लगातार सार्थक पहल कर रही है।
संगोष्ठी का संचालन डॉ. (श्रीमती) निधि शर्मा ने किया। अंत में डॉ. शिवबीर सिंह यादव ने आभार व्यक्त किया। डॉ डीसी मिश्रा, डॉ मोअज्जम खान, डॉ शोभ नाथ जैसल, डॉ उमेश कुमार, डॉ रीता निगम, डॉ सुधेंद्र नाथ, आयोजन सचिव डॉ शिति कंठ दुबे, डॉ अमर नाथ, डॉ मनीष शंकर तिवारी, डॉ. फिरोज अंसारी, डॉ. कृष्णवीर सिंह यादव, डॉ. अजहर अली, डॉ. अर्चना यादव आदि भी वैचारिक-बौद्धिक संवर्धन में भागीदार थे।
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